
पटना, 30 जून 2024: बिहार में लागू शराबबंदी कानून को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बिहार सरकार को इस कानून के क्रियान्वयन पर फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि शराबबंदी के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है और तस्करी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
कोर्ट की फटकार के प्रमुख बिंदु:
- गिरफ्तार लोगों को जमानत ना देना: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जेलों में भ overcrowding की समस्या पर चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि सिर्फ शराब पीने के आरोप में लोगों को लंबे समय तक जेल में रखना ठीक नहीं है। अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या शराब पीने के आरोपियों को जमानत ना देने का कोई ठोस आधार है।
- तस्करी पर रोकथाम की कमी: कोर्ट ने बिहार सरकार पर सवाल उठाया है कि शराब की तस्करी को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जहरीली शराब से होने वाली मौतों की घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि तस्करी पर लगाम नहीं लगाया जा सका है।
- मानवाधिकारों का हनन: कोर्ट ने कहा है कि शराबबंदी के नाम पर लोगों के मानवाधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। गरीब तबके के लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नीतीश कुमार सरकार का बचाव:
नीतीश कुमार सरकार का कहना है कि शराबबंदी कानून एक सामाजिक सुधार का प्रयास है। इस कानून से महिलाओं और गरीब परिवारों को काफी फायदा हुआ है। सरकार का दावा है कि तस्करी के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है।
विपक्ष के हमले:
विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर लगातार हमलावर हैं। उनका कहना है कि शराबबंदी कानून पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। इससे सिर्फ तस्करी का कारोबार बढ़ा है और जेलें भर गई हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार को जनता की राय का सम्मान करते हुए इस कानून में ढील देनी चाहिए।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बिहार में शराबबंदी कानून का भविष्य क्या होगा, इस पर अभी कुछ कहना मुश्किल है। सरकार या तो इस कानून को सख्ती से लागू करने के लिए ठोस कदम उठा सकती है या फिर जनता की राय और विपक्ष के दबाव को देखते हुए इसमें कुछ ढील देने पर विचार कर सकती है। यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनाव में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
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